देवताओं में भगवान श्री कृष्ण भगवानों में सर्वश्रेष्ठ एक ऐसे अलौकिक अवतार जिनका बचपन लीलाओं से भरा है बचपन से ही श्री कृष्ण ने असुरों का वध किया जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं ( बकासुर, पूतना, कंस) इत्यादि। श्री कृष्ण एक मनमोहक छवि वाले ऐसे भगवान जिन्होंने अपना दीवाना पूरे ब्रह्मांड को बना कर रखा है। अपने मित्र के रुप में सुदामा से मिलन हो या फिर रणभूमि में कुशल नीतिज्ञ का पाठ, अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश देना और उपदेश से कर्तव्यनिष्ठा का पाठ श्री कृष्णा ने सबको पढ़ाया । भगवान श्री कृष्ण की अति प्रिय बांसुरी एक ऐसा सु मधुर संगीत प्रस्तुत करती थी के वातावरण जैसे भक्ति में रम जाता और वह भी क्यों ना हो जब बजाने वाला खुद भगवान श्री कृष्ण हो।
जन्माष्टमी क्या है ?
जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को कहा जाता है। ग्रंथों के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि के समय हुआ था । जन्माष्टमी अर्थात जन्म+ अष्टमी यानी अष्टमी के दिन जन्म इसे कृष्ण के जन्म दिन के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है।
कहां-कहां मनाया जाता है जन्माष्टमी का त्योहार ?
जन्माष्टमी का त्योहार यूं तो पूरे विश्व में मनाया जाता है परंतु मथुरा वृंदावन में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि मथुरा श्री कृष्ण की जन्मभूमि वृंदावन में बांके बिहारी जी का फूल बंगला सजाया जाता। जिसे देखने विश्व भर के कई कृष्ण भक्त आते हैं और भक्ति में रम जाते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त 2 सितंबर निशिथ पूजा– 23:57 से 00:43 पारण– 20:05 (3 सितंबर) के बाद रोहिणी समाप्त- 20:05 अष्टमी तिथि आरंभ – 20:47 (2 सितंबर)